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भारत में संस्कृति संगम निबंध #PPT Bharat Mein Sanskrutik Sangam by Ramdhari Singh Dinakar (Nibandh)

भारत में सांस्कृतिक संगम - दिनकर

भारत में सांस्कृतिक संगम

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के विचारों के आलोक में
प्रस्तुतकर्ता : Hebbare Manikantha Rao, Guest faculty in Hindi

परिचय

भारत विविधताओं का देश है।
भाषाओं, धर्मों, जातियों, परम्पराओं और जीवन मूल्यों में भिन्नता होते हुए भी
एकता की धारा निरंतर प्रवाहित होती है।
दिनकर जी के अनुसार — “भारत संस्कृतियों का समन्वय है।”

दिनकर जी का दृष्टिकोण

भारतीय संस्कृति न तो एक धर्म की है, न एक जाति की।
यह आर्य, द्रविड़, यूनानी, शकों, कुषाणों व मुगलों तक की
समन्वित धरोहर है।

सांस्कृतिक संगम के प्रमुख आधार

🌼 भाषा विविधता → हिन्दी, संस्कृत, द्रविड़ भाषाएँ
🕌 धार्मिक सहिष्णुता → हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सिख परंपराएँ
🪕 कला, नृत्य व संगीत → संयुक्त भारतीय पहचान
🧭 इतिहास और सामूहिक संघर्ष → आज़ादी का आंदोलन

साहित्य में सांस्कृतिक संगम

कवि दिनकर ने ‘संस्कृति के चार अध्याय’ में
सांस्कृतिक एकता को ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया।
उनकी दृष्टि राष्ट्रवादी एवं समन्वयवादी है।

भारत का वैश्विक योगदान

अहिंसा, सत्य, सहिष्णुता, वसुधैव कुटुम्बकम्
योग, आयुर्वेद, आध्यात्मिकता —
भारत ने विश्व को मार्ग दिखाया।

निष्कर्ष

भारत एक जीवंत सांस्कृतिक संगम है।
विभिन्नता में एकता — यही है भारतीयता का मूल स्वर।
दिनकर के शब्दों में — “भारत मिलन स्थल है।”

संदर्भ सूची

📌 दिनकर — संस्कृति के चार अध्याय
📌 भारतीय साहित्य व इतिहास ग्रंथ
📌 शोध आधारित शैक्षणिक स्रोत

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