पुस्तक और प्रकृति से बेहतर, मित्र दुनिया में कोई नहीं |
प्रकृति ही जीवन का आधार है| प्रकृति के अनेक रूपों को हम देखें हैं| प्रकृति हमारी माँ की तरह होती है| प्रकृति मानव की चिर सहचरी है| अगर एक छात्र अपने छात्र जीवन में प्राकृतिक पर्यावरण में रहकर प्रकृति से रूबरू होता तो उसदिन से वह खुद को जानने लगेगा| चेतन या अचेतन रूप से हम प्रकृति से बहुत कुछ सीखते हैं जैसे दुसरो के प्रति सुन्दर व्यवहार करना, नम्र और सहनशक्ति का गुण|
--- गीता रानी
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